*_अब CBI करेगी पूरे देश में डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश_*
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को देशभर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले की एकीकृत जांच का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक से पूछा कि वह साइबर अपराधियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे बैंक अकाउंट का पता लगाने और उन्हें फ्रीज करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का प्रयोग क्यों नहीं कर रहा है.
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर अपराध का एक ऐसा स्वरूप है, जिसमें धोखेबाजों द्वारा कानून प्रवर्तन या कोर्ट के अफसर या सरकारी एजेंसियों के कर्मचारी बनकर ऑडियो और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ितों को धमकाया जाता है. साथ ही वे पीड़ितों को बंधक बनाकर उनपर पैसे देने का भी दबाव बनाते हैं.
सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना समेत गैर-भाजपा शासित सभी राज्य सरकारों से कहा कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को अनुमति दें.
वहीं पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा कि साइबर धोखाधड़ी के मामलों में प्रयोग किए गए बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए एआई या मशीन लर्निंग तकनीक का प्रयोग आखिर क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपत्ती की शिकायत पर स्वतः संज्ञान वाले मामले में निर्देश देते हुए कहा कि साइबर अपराधी अधिकतर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाते हैं और उनकी गाढ़ी कमाई को हड़प लेते हैं.कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी मध्यस्थों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों से संबंधित जांच में सीबीआई को विवरण और सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया.






