*_पश्चिम बंगाल : ममता बनर्जी का केंद्र पर हमला, भाजपा पर EC को निर्देश देने का लगाया आरोप_*
कृष्णानगर (पश्चिम बंगाल) : विधानसभा चुनाव से पहले माहौल गरमाते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र के खिलाफ हमला बोला. गुरुवार को नादिया के कृष्णानगर में एक जनसभा में बोलते हुए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर एक साथ निशाना साधा.
एनआरसी और नागरिकता वेरिफिकेशन पर अपना अडिग रुख दोहराते हुए ममता ने शाह की तुलना “दुर्योधन और दुशासन” से की, और चुनाव से पहले अपने राजनीतिक हमले को और तीखा कर दिया. उन्होंने “केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से चुनाव कराने” के प्रयासों के खिलाफ भी चेतावनी दी, और कहा, “बिहार को नियंत्रित नहीं किया जा सका, बंगाल को भी नहीं किया जा सकेगा.”
अपने भाषण की शुरुआत से ही ममता आक्रामक मूड में दिखीं. अमित शाह का नाम लिए बिना उन्होंने उनके हाव-भाव और तौर-तरीकों का मज़ाक उड़ाया. उन्होंने कहा, “एक गृह मंत्री हैं… ऐसा कुछ नहीं है जो वह नहीं कर सकते. जैसे ही आप उनकी आंखों में देखते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कोई मुसीबत आ गई हो. एक आंख में वह दुर्योधन हैं, दूसरी में वह दुशासन हैं.”
उन पर बांटने वाली राजनीति का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम सिर्फ़ इसलिए हटाए जा रहे हैं क्योंकि उन्होंने लोगों को “बांग्लादेशी या रोहिंग्या” कहा है. उनका हमला भाजपा लीडरशिप से आगे बढ़कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी था. उनके अनुसार, आयोग को भाजपा निर्देश दे रही थी.
उन्होंने पूछा, “भाजपा शिकायत करती है… और अचानक सिर्फ़ गैर-भाजपा वालों के नाम हटा दिए जाते हैं. भाजपा की शिकायत को रामायण या महाभारत जैसा क्यों माना जाना चाहिए?” उन्होंने आगे कहा कि वोटर लिस्ट खुद भाजपा का आईटी सेल तैयार कर रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा न्यायपालिका से लेकर प्रशासनिक संस्थाओं तक, सभी संस्थाओं की आवाज दबाने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. “याद रखें, लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत जनता होती है.
बिहार ने विरोध किया, बंगाल भी विरोध करेगा. एनआरसी का इस्तेमाल करो, एजेंसियां लगाओ, इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई, बीएसएफ भेजो—मैं फोर्स का सम्मान करती हूं, लेकिन आज आपने उन्हें भाजपा का टूल बना दिया है.” सीएए और एनआरसी पर अपना स्टैंड दोहराते हुए ममता ने कहा कि वह बंगाल में कभी भी निरोध शिविर नहीं बनने देंगी. उन्होंने नागरिकता का सबूत मांगने को “नाक रगड़ने से भी ज़्यादा अपमानजनक” बताया.
अपने लंबे राजनीतिक करियर का जिक्र करते हुए उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैंने अभी तक फ़ॉर्म नहीं भरा है. मैं तीन बार केंद्रीय मंत्री रही हूं, सात बार सांसद चुनी गई हूं, और आपके आशीर्वाद से तीन बार मुख्यमंत्री बनी हूं. अब मुझे साबित करना होगा कि मैं नागरिक हूं? इस बेइज्जती को सहने से बेहतर है कि नाक पर निशान पड़ जाए.” भाजपा को “दंगाई” कहते हुए उन्होंने कहा, “क्या मुझे उन लोगों के सामने अपनी नागरिकता साबित करने की ज़रूरत है जो खून बहाते हैं और हिंसा करते हैं?”
ममता ने भाजपा पर बंगाल के आइकॉन का अपमान करने और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “रवींद्रनाथ और नेताजी से लेकर मातंगिनी हाजरा और राजा राममोहन राय तक, भाजपा इनमें से किसी का भी सम्मान नहीं करती. वे हर कदम पर हमारी विरासत का अपमान करते हैं.”
एक बात जिसने सबसे ज़्यादा राजनीतिक चर्चा छेड़ी, वह थी भाजपा को “भूखी पार्टी” कहना. बंगाल पर कब्ज़ा करने की पार्टी की बेचैनी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “वे बंगाल पर कब्ज़ा करने के लिए इतने लालची हैं कि वे एक भूखी पार्टी बन गए हैं. वे किसी भी तरह से जीतना चाहते हैं—समाज को बांटकर, लोगों को खरीदकर, देशद्रोहियों को भर्ती करके, यहां तक कि पूरे भारत से दंगाइयों को हमारे ज़िलों में लाकर.”
उन्होंने भीड़ से पूछा: “क्या आप बंगाल में डिटेंशन कैंप चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि दूसरे लोग तय करें कि आप क्या खाएंगे या क्या पढ़ेंगे? क्या आप चाहते हैं कि बंगाल की भाषा को चुप करा दिया जाए?” उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि बंगाल जानता है कि एनआरसी प्रक्रिया के तहत गलत तरीके से हटाए गए लोगों को वापस कैसे लाया जाए.
बॉर्डर के एक जिले में खड़े होकर उन्होंने लोगों को बीएसएफ के बारे में भी सावधान किया. उन्होंने चेतावनी दी, “एक विनम्र अनुरोध है—बॉर्डर इलाकों में बीएसएफ कैंप के पास न जाएं.” अपना भाषण खत्म करते हुए, ममता ने जनता को भरोसा दिलाया कि किसी को भी नागरिकता वेरिफिकेशन से डरने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों के साथ मज़बूती से खड़ी है और वैधानिक दस्तावेज में मदद के लिए ‘मे आई हेल्प यू’ बूथ भी लगाएगी.
अमित शाह पर हमले से लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने और बंगाल के गौरव का जिक्र करने तक, ममता बनर्जी की कृष्णानगर रैली ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के मकसद से एक मजबूत संदेश दिया.






