पंतनगर विश्वविद्यालय की उपलब्धिया राष्ट्रनिर्माण की नींव : विकास शर्मा

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पंतनगर विश्वविद्यालय की उपलब्धिया राष्ट्रनिर्माण की नींव : विकास शर्मा

 

पंत जयंती समारोह में महापौर विकास शर्मा ने पं. गोविंद बल्लभ पंत को किया भावपूर्ण नमन

 

 

रुद्रपुर। पंतनगर विश्व विद्यालय के गांधी हॉल में बुधवार को आयोजित भव्य “पंत जयंती कार्यक्रम” में महापौर विकास शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर महापौर ने पं. पंत जी के जीवन, उनके अद्वितीय योगदान और पंतनगर विश्वविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास पर विशेष प्रकाश डाला।

 

महापौर विकास शर्मा ने अपने संबोधन की शुरुआत पं. गोविंद बल्लभ पंत को कोटि-कोटि नमन से करते हुए की। उन्होंने कहा यह पंत जयंती समारोह हम सबके लिए गर्व का अवसर है, जो उस महान व्यक्तित्व को याद करने का माध्यम है, जिनके नाम से न केवल यह विश्वविद्यालय बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड की पहचान जुड़ी है।

 

महापौर ने कहा कि पंडित पंत जी न केवल स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी रहे, बल्कि स्वतंत्र भारत के प्रशासनिक ढांचे के मजबूत स्तंभ भी बने। उन्होंने विशेष रूप से पं. पंत जी के गृहमंत्री के तौर पर किए गए ऐतिहासिक योगदान का उल्लेख किया। भारत की विविधता को एक सूत्र में पिरोने का उनका प्रयास और हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने का उनका संघर्ष आज भी प्रेरणादायक है। महापौर ने कहा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत जो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार कर रहा है, उसकी जड़ें पं. पंत जैसे दूरदर्शी नेताओं की विचारधारा में निहित हैं।

 

महापौर विकास शर्मा ने पंतनगर विश्वविद्यालय की स्थापना को पं. पंत जी के आत्मनिर्भरता के सपने का मूर्त रूप बताया। उन्होंने कहा 1960 में स्थापित यह एशिया का पहला कृषि विश्वविद्यालय बनकर हरित क्रांति का जनक बना। आज ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के विचार इसी विश्वविद्यालय में दशकों पहले से साकार हो चुके थे।

 

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित कर देश के किसानों को नई शक्ति प्रदान की, जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना। पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, कृषि प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में पंतनगर के वैज्ञानिकों का योगदान उल्लेखनीय रहा है। महापौर ने बताया कि प्रतिवर्ष 7,000 क्विंटल से अधिक बीज उत्पादन कर करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। गेहूँ व धान की किस्में देश को आयातक से निर्यातक राष्ट्र बनाने में सहायक रहीं।

 

प्रो. डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का सशक्त नेतृत्व

महापौर विकास शर्मा ने विश्वविद्यालय के वर्तमान नेतृत्व को भी सराहा। उन्होंने बताया कि माननीय कुलपति प्रो. डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व अनुसंधान कार्यों को नई गति दी है। छात्रों को नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अवसर प्रदान करने, अनुसंधान व नवाचार को प्रोत्साहित करने, किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में डॉ. चौहान जी का उल्लेखनीय योगदान है।

 

महापौर ने विशेष रूप से छात्रों से कहा कि वे पं. पंत जी की राह पर चलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। उन्होंने कहा, देश विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर है। इस यात्रा में आपकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी। आप केवल डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र नहीं बनें, बल्कि समाज व राष्ट्र सेवा का संकल्प लें।

 

महापौर विकास शर्मा ने आयोजन समिति को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी और आह्वान किया कि पं. गोविंद बल्लभ पंत जी के आदर्शों को आत्मसात कर, उत्तराखंड व भारत को प्रगतिशील व सशक्त राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें।

 

इससे पूर्व कार्यक्रम को कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि को आयोजकों ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।कार्यक्रम में डॉ. आनंद सिंह जीना , डॉ संजय शर्मा यूबीसी डायरेक्टर , डॉ जेपी जयसवाल, डॉ अलका गोयल,अनिल धस्मानासहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।


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