उत्तराखंड:(बड़ी खबर)-कुख्यात गैंगस्टर वाल्मीकि गैंग से मित्र पुलिस की मिलीभगत, दो सिपाही गिरफ्तार

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उत्तराखंड:(बड़ी खबर)-कुख्यात गैंगस्टर वाल्मीकि गैंग से मित्र पुलिस की मिलीभगत, दो सिपाही गिरफ्तार

 

Roorki News: मित्र पुलिस का दावा करने वाली उत्तराखंड पुलिस एक बार फिर कठघरे में है। मंगलवार को एसटीएफ ने पुलिस महकमे के दो सिपाहियों शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी को कुख्यात अपराधी प्रवीण वाल्मीकि गैंग के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी पुलिस महकमे की साख पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है।

 

दरअसल, गत 27 अगस्त को रुड़की गंगनहर थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि प्रवीण वाल्मीकि का भतीजा और पार्षद मनीष बॉलर तथा उसके साथी पंकज अष्टवाल ने एक महिला रेखा की जमीन फर्जी तरीके से अपने नाम कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एसटीएफ को सौंपी गई।

 

 

जांच में एसटीएफ ने न सिर्फ मनीष बॉलर और पंकज अष्टवाल को गिरफ्तार किया, बल्कि जमीन सौदे में एक अन्य महिला रेखा को भी जेल भेजा। इसी दौरान मोबाइल रिकॉर्ड खंगालने पर गढ़वाल रेंज कार्यालय में तैनात सिपाही शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी की संलिप्तता भी सामने आई।

 

एसटीएफ को पता चला कि ये सिपाही जेल में वाल्मीकि से मुलाकात कराते थे और मनीष बॉलर के साथ फोन पर लगातार संपर्क में रहते थे। इसके अलावा, उन्होंने पीड़ित पक्ष पर संपत्ति कब्जाने के लिए दबाव बनाया। सिपाही शेर सिंह (36) पुत्र स्व. दल सिंह, निवासी ग्राम बहादरपुर जट, जिला हरिद्वार ने 26 अप्रैल 2025 को रुड़की कोर्ट परिसर में पीड़ित पक्ष को बुलाकर प्रवीण वाल्मीकि से मुलाकआत

मार्च 2025 में सिपाही हसन अब्बास जैदी (46) पुत्र स्व. तालीब अली, निवासी खेरवा जलालपुर, तहसील सरधना, जिला मेरठ ने मनीष बॉलर के साथ मिलकर पीड़िता रेखा के पुत्र सूर्यकांत को रुड़की हॉस्पिटल में धमकाया और संपत्ति बेचने का दबाव बनाया।

 

आरोप है कि इन दोनों सिपाहियों ने गैंग के लिए काम करते हुए रुड़की की एक विधवा को जमीन बेचने के लिए डराया-धमकाया। एसटीएफ की रिपोर्ट के बाद पुलिस मुख्यालय ने इन्हें पिथौरागढ़ ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर मंगलवार को दोनों को गिरफ्तार कर रुड़की न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।

पुलिस जिनसे आम जनता सुरक्षा की उम्मीद करती है, वही जब माफिया के लिए काम करते पाए जाएं तो मित्र पुलिस का नारा खोखला लगता है। सवाल उठता है कि अगर वर्दीधारी ही अपराधियों की ढाल बन जाएं तो फिर जनता न्याय और सुरक्षा की उम्मीद किससे करे?


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