सैन्य धाम से पूरे देश मे गूंजेगा उत्तराखंड का पराक्रम
प्रदेश भर में उत्साह के साथ मना विजय दिवस, वीर सपूतों के बलिदान को किया नमन
देहरादून भारतीय सैन्य इतिहास के सबसे स्वर्णिम अध्याय ‘विजय दिवस’ के अवसर पर आज राजधानी देहरादून देशभक्ति के रंग में डूबी नजर आई। गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित भव्य श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 1971 के युद्ध के अमर बलिदानियों को पुष्पचक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पूरा परिसर ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद अमर रहें’ के उद्घोष से गुंजायमान रहा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित वीर नारियों और पूर्व सैनिकों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और उनके त्याग को नमन करते हुए सम्मान प्रकट किया।इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, राजपुर रोड विधायक खजान दास, कैंट विधायक सविता कपूर सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बेहद भावुक और ओजस्वी शब्दों में कहा कि 16 दिसंबर 1971 का दिन केवल एक जीत का दिन नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना के उस अदम्य साहस और पराक्रम का प्रमाण है जिसने विश्व का भूगोल बदल दिया था। उन्होंने गर्व के साथ उल्लेख किया कि 1971 के उस ऐतिहासिक युद्ध में उत्तराखंड के वीर सपूतों ने जो पराक्रम दिखाया, वह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक रहेगा। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि देवभूमि का हर आंगन सैन्य परंपरा से सिंचित है और यहाँ के वीरों की रगों में दौड़ता राष्ट्रप्रेम ही इस राज्य की असली पहचान है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में राज्य सरकार के विजन को साझा करते हुए बताया कि देहरादून में आकार ले रहा ‘सैन्य धाम’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड का पांचवां धाम बनेगा। यह धाम केवल पत्थरों का स्मारक नहीं होगा, बल्कि इसमें प्रदेश के प्रत्येक शहीद के घर के आंगन की पवित्र मिट्टðी समाहित है, जो हर आगंतुक को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए पूर्णतः समर्पित है। सैनिकों के आश्रितों को दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि से लेकर उनके सम्मान को सुरक्षित रखने तक, सरकार हर मोर्चे पर उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती शक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि आज का भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी सेनाएं अब और भी अधिक आधुनिक और मारक क्षमता से लैस हैं। उन्होंने कहा कि 1971 में मिली जीत ने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि भारत अपनी अखंडता से समझौता नहीं करता और आज का सशक्त नेतृत्व इसी संकल्प को निरंतर आगे बढ़ा रहा है। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सैनिकों का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। शहीद की कोई जाति या धर्म नहीं होता, वह केवल देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और पूर्व सैनिकों के हितों को लेकर पूरी तरह संकल्पबद्ध है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। बलिदानी सैनिकों के परिवार को दी जाने वाली सम्मान राशि 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये की गई है, वहीं वीरता पुरस्कार से अलंकृत सैनिकों को मिलने वाली सम्मान राशि में भी वृद्धि की गई है। मंत्री ने कहा कि देश में सशक्त नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज सीमा पार से एक गोली चलने पर उसका जवाब गोले से दिया जाता है। उन्होंने कहा कि देश के हर पांचवें सैनिक का संबंध उत्तराखंड से है, जो प्रदेश के युवाओं में अटूट देशप्रेम को दर्शाता है। वहीं राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने विजय दिवस के अवसर पर शौर्य स्थल में मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राणों का सर्वाेच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने उपस्थित सेवारत एवं पूर्व सैनिकों से भेंट कर उनसे संवाद किया तथा राष्ट्र की रक्षा में उनके अमूल्य योगदान की सराहना की। इस अवसर पर राज्यपाल ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की ऐतिहासिक, रणनीतिक एवं निर्णायक सैन्य विजय को स्मरण करते हुए कहा कि यह युद्ध भारत के सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अध्याय है। भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्वितीय शौर्य, साहस और कुशल रणनीति का परिचय देते हुए न केवल दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए विवश किया, बल्कि पाकिस्तान के विभाजन के साथ एक नए राष्ट्र, बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त किया।राज्यपाल ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों की उत्कृष्ट रणनीति, कठोर प्रशिक्षण, सटीक योजना, अनुशासन, समर्पण और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि 54 वर्ष पूर्व इस युद्ध में शहीद हुए एवं घायल हुए जवानों के परिवारों की देखभाल करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। विजय दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव उनके परिवारों के सम्मान, सुरक्षा और कल्याण के लिए तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज भारत आधुनिकीकरण, तकनीकी नवाचार, भविष्य के युद्ध कौशल और सैन्य क्षमताओं के क्षेत्र में एक व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। यह परिवर्तन हमारे सशस्त्र बलों की शक्ति और राष्ट्र की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करेगा। राज्यपाल ने कहा कि विजय दिवस केवल अतीत की विजय को स्मरण करने का दिन नहीं, बल्कि यह आत्ममंथन और संकल्प का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य की चुनौतियों तथा आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा आवश्यकताओं के प्रति स्वयं को निरंतर सुदृढ़ और सजग बनाए रखना होगा। इस अवसर पर जीओसी सब एरिया, उत्तराखण्ड मेजर जनरल एम- पी- एस- गिल, संयुक्त मुख्य हाइड्रोग्राफर, रियर एडमिरल पीयूष पौसी सहित सेवारत और भूतपूर्व सैन्य अधिकारी, जेसीओ और जवान मौजूद रहे।






