किच्छा: बंगाली समाज के लोगों ने सुब्रत विश्वास के नेतृत्व में पहुंचे SDM ऑफिस, जाति प्रमाण पत्रों पर भेदभाव के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

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किच्छा: बंगाली समाज के लोगों ने सुब्रत विश्वास के नेतृत्व में पहुंचे SDM ऑफिस, जाति प्रमाण पत्रों पर भेदभाव के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

 

 

किच्छा, 16 दिसंबर 2025: जनपद उद्यान सिंह नगर के किच्छा तहसील क्षेत्र में बंगाली समाज के सैकड़ों परिवारों ने आज उपजिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा। सुब्रत विश्वास के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने जाति प्रमाण पत्र एवं स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करने में हो रही देरी और भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की। इस अवसर पर उपजिलाधिकारी गौरव पांडे ने समाज को त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया।लंबे समय से चली आ रही समस्याएंकिच्छा तहसील में निवासरत बंगाली समाज के अनेक परिवार पिछले कई वर्षों से अपने वैधानिक दस्तावेजों के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा उदासीनता बरती जा रही है, जिसके कारण उनके आवेदन लंबित पड़े हैं। समाज के लोगों का आरोप है कि आवेदन प्रस्तुत करने पर उन्हें “बांग्लादेशी” कहकर अपमानित किया जाता है, अभद्र व्यवहार का शिकार बनाया जाता है तथा प्रकरणों को जानबूझकर लटकाया जाता है।यह व्यवहार न केवल मानवीय गरिमा का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का स्पष्ट हनन है। बंगाली समाज के ये परिवार 1947 की विभाजन की त्रासदीपूर्ण परिस्थितियों में विस्थापित होकर भारत आए थे तथा स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दशकों से इस क्षेत्र में बसे ये परिवार अब भी प्रशासनिक प्रक्रियाओं में भेदभाव का शिकार हो रहे हैं।अन्य राज्यों में मान्यता, उत्तराखंड में वंचनदेश के विभिन्न राज्यों में बंगाली समुदाय को अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है, जिससे उन्हें आरक्षण एवं अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। किंतु उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में वही समुदाय इन लाभों से वंचित है। समाज के नेताओं ने इसे “दोहरी नीति” करार देते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है तथा राष्ट्रीय एकता को कमजोर करता है।SDM का आश्वासन, समाज की चेतावनीज्ञापन सौंपने के दौरान उपजिलाधिकारी गौरव पांडे ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि आगे से किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी भेदभावपूर्ण व्यवहार करता है तो सीधे मुझसे शिकायत करें। कानूनी तौर पर आपको कोई परेशानी नहीं आएगी और हम समाधान के लिए तत्पर हैं।”वरिष्ठ बंगाली नेता सुब्रत विश्वास ने कहा कि गरीब बंगाली परिवारों के साथ कागजों के नाम पर हो रही अवैध वसूली, शोषण और अभद्र व्यवहार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जाति एवं स्थायी प्रमाण पत्र बनाने में बाधाएं बनी रहीं तो समाज जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।प्रमुख लोग शामिलतहसील घेराव कार्यक्रम में अभिमन्यु साना, दीपांकर विश्वास, दिलीप विश्वास, अनीता बदोई, अरुण मंटू हालदार, शुभंकर मजूमदार, कालीपद मजूमदार, सविता विश्वास, पूजा मलिक, रोहन मलिक, रानी सरकार सहित समाज के बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। प्रतिनिधिमंडल ने चार सूत्री मांगें रखीं – तत्काल प्रमाण पत्र जारी करना, भेदभाव पर रोक, विशेष शिविर का आयोजन तथा नोडल अधिकारी की नियुक्ति।समाज ने कहा कि उनका संघर्ष संवैधानिक अधिकारों और सम्मान की पुनर्स्थापना के लिए है। प्रशासन से अपेक्षा है कि आश्वासन को शीघ्र अमल में लाया जाए वरना आंदोलन की रूपरेखा तैयार रहेगी।


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