*अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस’ पर अपनी विभिन्न मार्गो को लेकर गांधी पार्क मे कुमाऊँ स्तर का प्रदर्शन, सभा और मुख्य बाजार मे निकाला जुलूस*

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*अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस’ पर अपनी विभिन्न मार्गो को लेकर गांधी पार्क मे कुमाऊँ स्तर का प्रदर्शन, सभा और मुख्य बाजार मे निकाला जुलूस*

 

*मासा के आह्वान पर मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मज़दूरों के दमन पर रोक लगाने और मज़दूर अधिकारों की बहाली, निजीकरण बंद करने आदि मांगों को लेकर 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत रुद्रपुर में मज़दूर हक़ की आवाज़ बुलंद*

 

रुद्रपुर, 14 दिसंबर। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, निजीकरण बंद करने, मजदूरों के दमन पर रोक लगाने और मज़दूर अधिकारों की बहाली आदि मांगों को लेकर ‘अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस’ के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ। इसी क्रम में आज रुद्रपुर के गाँधी पार्क में कुमाऊँ स्तर का प्रदर्शन, सभा और मुख्य बाजार में जुलूस निकाला गया।

 

इस अवसर पर 12 केंद्रीय मांगोंबका ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति को और 17 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेजा गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूर शामिल रहे।

 

सभा को संबोधित करते हुए मासा के घटक संगठनों सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू) के मुकुल और इंक़लाबी मज़दूर केंद्र (आईएमके) के रोहित ने कहा कि तमाम विरोधों को नज़रअंदाज़ करते हुए पिछले 21 नवंबर को मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के हित में मज़दूर-विरोधी 4 श्रम संहिताओं को दबंगई के साथ लागू कर दिया है। यह भारत के मज़दूर वर्ग पर अबतक का सबसे बड़ा हमला है। इतिहास के इस सबसे कठिन दौर में, जहाँ कॉर्पोरेट पूंजीपतियों का मुनाफा आसमान छू रहा है; वहीं मज़दूरों की नौकरियां छीन रही हैं, मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा घट रही है, काम के घंटे बढ़ रहे हैं, महंगाई व बेरोजगारी बेलगाम है। सरकारी-सार्वजनिक संपत्तियां तेजी से बेची जा रही है और शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मेहनतकश को वंचित किया जा रहा है। सांप्रदायिक विभाजन तीखा है और मज़दूर तरह-तरह के विभाजनों के शिकार हैं। आज फासीवाद और पूंजी के नापाक गंठजोड़ से धार्मिक नफ़रत और पूंजीवादी लूट बेलगाम है।

 

वक्ताओं ने कहा कि ऐसे एक कठिन समय में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने मज़दूर अधिकारों को बुलंदी से उठाने का आह्वान किया है। मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं की समाप्ति, निजीकरण पर रोक सहित 12 सूत्री केन्द्रीय मांगों के साथ स्थानीय मांगों को लेकर 14 दिसंबर 2025 को अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस के रूप में पूरे देश के विभिन्न हिस्सों के साथ गाँधी पार्क रुद्रपुर में भी प्रदर्शन होगा।

 

इस अवसर पर सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (CSTU) के धीरज जोशी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित, सुरेन्द्र, सीएसटीयू के मुकुल, मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान मासा के कैलाश, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, सनसेरा श्रमिक संगठन के रविंद्र पाल, ऑटो लाइन एम्पलाइज यूनियन के जीवन लाल, बजाज मोटर्स लिमिटेड यूनियन के अनूप सिंह रावत, एडवीक कर्मचारी संगठन के विकल कुमार, एरा श्रमिक संगठन के बुद्ध सेन, परफैटी श्रमिक संगठन के हरपाल सिंह, कारोलिया लाइटिंग एम्पलाइज यूनियन के हरेंद्र सिंह, डेल्टा एम्पलाइज यूनियन के कृष्ण नारायण झा, इंटरार्क मजदूर संगठन के हिरदेश कुमार, सी आई ई ई श्रमिक संगठन के डूंगर सिंह, वोल्टास इंप्लाइज यूनियन के सुरेश चंद्र पांडे, आनंद निशिकावा यूनियन के गंगा सिंह, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के गोविंद सिंह, यजाकी वर्कर्स यूनियन से रविंद्र कुमार, नेस्ले कर्मचारी संगठन के संजय सिंह नेगी, भगवती एम्पलाइज यूनियन के लोकेश पाठक, इंटरार्क मजदूर संगठन पंतनगर के दलजीत सिंह, ठेका मजदूर कल्याण समिति के अभिलाख सिंह, परिवर्तन कमी छात्र संगठन के महेश, प्री कॉल लिमिटेड के विजय सैलानी, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी जोशी, लाल झंडा मजदूर यूनियन के मनोज, प्रगतिशील भोजन माता संगठन से शारदा, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के पी पी आर्य, समाजवादी लोकमंच से गिरीश चंद्र आर्य, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी रामनगर से आसिफ, डॉल्फिन मजदूर संगठन से सुनीता, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवारी, सर्व श्रमिक निर्माण कर्मकार संगठन के बाबूलाल, सीएनजी टेंपो यूनियन के अध्यक्ष सुब्रत विश्वास आदि ने संबोधित किया। जुलूस में महिला मज़दूरों सहित सैकड़ों मज़दूरों ने भागीदारी की।

 

 


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