नर्सिंग अभ्यर्थियों ने किया स्वास्थ्य मंत्री के आवास का घेराव
देहरादून। नर्सिंग एकता मंच का संघर्ष लगातार तेज होता जा रहा है और पिछले छह दिनों से जारी धरना-प्रदर्शन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। गुरुवार को नर्सिंग अभ्यर्थियों और बेरोजगारों ने देहरादून के यमुना कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य मंत्री आवास का शांतिपूर्ण घेराव किया और अपनी आवाज सरकार तक पहुँचाई। लगभग 500 अभ्यर्थियों ने दोपहर 12 बजे शुरू हुए कार्यक्रम में हाथों में बैनर-पोस्टर लिए न्याय दो, ष्वर्षवार भर्ती लागू करो और पुलिस बर्बरता की जांच हो जैसे नारे लगाए। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हरक सिंह रावत, उत्तराखंड महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला और महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल भी उपस्थित रहे। हरक सिंह रावत ने कहा कि जिस दिन हमारे बच्चों के चेहरे पर रौनक होगी, उस दिन हम होली मनाएंगे, जबकि वर्तमान में प्रदेश के बच्चों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। नर्सिंग एकता मंच ने सरकार से पांच प्रमुख मांगों पर तुरंत निर्णय की अपील की। उन्होंने वर्षवार भर्ती प्रक्रिया बहाल करने, वर्तमान भर्ती परीक्षा पोर्टल को तत्काल बंद करने और प्रक्रिया को पुनर्गठित करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने आईपीएचएस मानकों के अनुसार 2500 से अधिक रिक्त पदों पर संयुक्त भर्ती करने की बात कही, जिसमें शिक्षा और चिकित्सा स्वास्थ्य दोनों विभागों में भर्ती एक साथ निकाली जाए। मंच ने यह भी कहा कि आयु सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को विशेष आयु छूट दी जाए और उत्तराखंड मूल निवासियों को भर्ती में प्राथमिकता दी जाए। नर्सिंग अभ्यर्थियों ने पुलिस कार्रवाई पर भी नाराजगी जताई। नर्सिंग एकता मंच के अध्यक्ष नवल पुंडीर ने कहा कि पहले के विरोध प्रदर्शनों में अभ्यर्थियों पर हुई पुलिस मारपीट और उत्पीड़न की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन केवल नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता और सम्मान की मांग है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पहले जारी 800 पदों की बजाय 2500 पदों पर भर्ती होनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक उम्मीदवारों का चयन हो सके। धरने पर बैठे नर्सिंग अभ्यर्थियों ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं करती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। स्वास्थ्य मंत्री के आवास के घेराव के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड तक पहुँचने से रोका गया। नर्सिंग अभ्यर्थियों का कहना है कि यह आंदोलन उनके अधिकारों की लड़ाई है और न्याय मिलने तक वे अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे।






