*आर्य समाज संजय नगर का अथर्ववेद परायण महायज्ञ हर्षोल्लास से संपन्न* *संसार का सर्वोत्तम कर्म यज्ञ करने से होती है स्वर्ग की प्राप्ति -आचार्य जयवीर*

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*आर्य समाज संजय नगर का अथर्ववेद परायण महायज्ञ हर्षोल्लास से संपन्न*

 

*संसार का सर्वोत्तम कर्म यज्ञ करने से होती है स्वर्ग की प्राप्ति -आचार्य जयवीर*

 

*सुसंस्कारित युवा ही राष्ट्र की धरोहर-डा योगेश शास्त्री*

 

*परोपकार,यज्ञ,श्रद्धा और शुभ संकल्प से होगा जीवन सफल -सेवा राम त्यागी*

 

गाजियाबाद,रविवार,2/11/2025 आर्य समाज संजय नगर के 36 वें वार्षिकोत्सव पर पंच दिवसीय अथर्वर्वेद परायण महायज्ञ की पूर्णाहुति एवं सत्य सनातन वैदिक धर्म का आधार संस्कार और संस्कृति सम्मेलन हर्षोल्लास से रामलीला मैदान,संजय नगर,सेक्टर 23 में संपन्न हुआ।

 

यज्ञ के ब्रह्मा डा योगेश शास्त्री (गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार) रहे ओर वेदपाठ गुरुकुल बरनावा के आचार्य अंकुर शास्त्री एवं आचार्य सोहित योगी,अमित शास्त्री ने किया।मुख्य यज्ञमान श्रीमती नगेश त्यागी एवं अरुण त्यागी आदि रहे।डा योगेश शास्त्री ने यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत अपने उद्बोधन में लोगों को बताया कि जो लोग विद्वान, धर्मात्मा,सज्जनों के साथ मिलकर यज्ञ आदि उत्तम कर्म करते हैं वह दुखों से,दुर्गुणों से,दुर्व्यसनों से बचे रहते हैं और सुख की प्राप्ति करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि मानव जीवन में संस्कार नहीं है तो वह दानव बन जाता है,सुसंस्कारित मानव देवता बन जाता है।सुसंस्कारित करने के लिए प्रथम गुरु मां,दूसरा पिता ओर तीसरा आचार्य है।उन्होंने बताया जितना उपदेश ओर उपकार माता के द्वारा बालक को पहुंचता है उतना अन्य किसी से नहीं।सुसंस्कारित युवा ही राष्ट्र की धरोहर है।उन्होंने सेवा राम त्यागी को 48 वीं वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई दी।

 

मुख्य वक्ता डा जयवीर शास्त्री ने कहा कि यज्ञ संसार का सर्वोत्तम कर्म है यज्ञ करने वाले सभी यजमानों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है स्वर्ग यानी विशेष सुख।यज्ञ के द्वारा सारे वातावरण को शुद्ध किया है ऐसे कार्य को करने का सौभाग्य प्रभु कृपा से हमें प्राप्त हुआ है,इसका भरपूर लाभ उठाएं।प्रभु ने मानव शरीर को यज्ञ करने का अधिकार दिया है।घृत सामिग्री के माध्यम से जो हमने आहुतियां दी हैँ इससे देव प्रसन्न होते हैँ, हमें प्रसन्नता देते हैँ वही स्वर्ग सुख है।

 

मंच संचालक एवं यशस्वी संयोजक सेवा राम त्यागी ने पंच दिवसीय अथर्ववेद परायण महायज्ञ एवं सत्य सनातन वैदिक धर्म का आधार संस्कार और संस्कृति सम्मेलन में अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि ईश्वर सबकी आत्माओं में विद्यमान है,अंतर्मुखी होकर उससे सात्विक बुद्धि की प्रार्थना करने से कुछ ही दिनों में व्यवहार में फर्क नजर आएगा,कुटिल विचारों पर नियंत्रण होगा,विचारों में विनम्रता आएगी, समाज में सम्मान मिलेगा।गलती होने पर प्रायश्चित करो,स्वयं की भूल सुधारने के लिए यह आवश्यक है।उन्नति का यह प्रथम उपाय है।जीवन की वैतरणी आराम से पार करेंगे।उन्होंने बताया कि चार बाते जीवन में धारण करने से जीवन सफल होगा।परोपकार की भावना,यज्ञ को जीवन से जोड़ें,श्रद्धा को धारण करें और शुभसंकल्प करें,जीवन सफल हो जायेगा।उन्होंने दूर दराज से पधारे आर्य समाजों के प्रतिनिधियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

पतंजलि गुरुकुल के ब्रह्मचारी द्वारा दिखाया व्यायाम प्रदर्शन आकर्षण का केन्द्र रहा।

 

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री तेजपाल सिंह आर्य,बाबा विद्या नन्द, वी के धामा, प्रमोद शास्त्री,डॉ प्रमोद सक्सेना, सत्य पाल आर्य,राजेश्वर शास्त्री, लक्ष्मण सिंह चौहान,श्रीपाल त्यागी,अजय दिनकरपुर, प्रेमदत्त त्यागी,प्रमोद त्यागी,चौ यशपाल, प्रमोद त्यागी,नवीन त्यागी,योगी प्रवीण आर्य एवं वंदना चौधरी आदि उपस्थित रहे।

 

शांति पाठ व ऋषि लंगर के साथ सभा


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