*_SBI ने घटाई लोन दरें, होम-पर्सनल लोन होंगे सस्ते, EMI में राहत_*

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*_SBI ने घटाई लोन दरें, होम-पर्सनल लोन होंगे सस्ते, EMI में राहत_*

नईदिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा हाल ही में मौद्रिक नीति में की गई पॉलिसी रेट कटौती के बाद अपने लेंडिंग और डिपॉजिट दरों में संशोधन किया है. बैंक ने अपने एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड रेट (EBLR) में 25 बेसिस पॉइंट्स की कमी की है, जिससे मौजूदा और नए कर्जदारों के लिए होम लोन और अन्य क्रेडिट अब और सस्ता हो जाएगा.

 

लोन दरों में कटौती

 

SBI ने कहा कि बैंक का EBLR अब 7.90 प्रतिशत होगा, जो पहले 8.15 प्रतिशत था. इसके साथ ही मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में भी सभी कैटेगरी में 5 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई है. एक साल का MCLR अब 8.70 प्रतिशत होगा, जो पहले 8.75 प्रतिशत था.

इस बदलाव का सीधा फायदा होम लोन, पर्सनल लोन, MSME लोन और अन्य रिटेल क्रेडिट लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा. बैंक ने बताया कि EBLR के आधार पर सभी रिटेल और MSME लोन की कीमत तय होती है, इसलिए इस कटौती से कर्जदारों की EMI पर सकारात्मक असर पड़ेगा.

एफडी पर ब्याज दरों में कटौती

लोन दर कम करने के साथ ही SBI ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाले ब्याज दरों में भी संशोधन किया है. दो साल से तीन साल की मैच्योरिटी वाली टर्म डिपॉजिट दरों में 5 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई है. इसके बाद यह दरें 6.45 प्रतिशत से घटकर 6.40 प्रतिशत हो गई हैं. अन्य मैच्योरिटी बकेट की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

इसके अलावा, बैंक की खास “444 दिन” की स्कीम अमृत वृष्टि की ब्याज दर में 15 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई है, जिससे यह 6.60 प्रतिशत से घटकर 6.45 प्रतिशत हो गई है. एक साल की मैच्योरिटी पर ब्याज दर 8.75 प्रतिशत से घटकर 8.70 प्रतिशत हो गई है.

नई दरें कब लागू होंगी

SBI ने कहा कि ये नई ब्याज दरें 15 दिसंबर 2025 से प्रभावी होंगी. बैंक की यह पहल RBI की मौद्रिक नीति में की गई कटौती के तुरंत बाद ग्राहकों को फायदा पहुंचाने के लिए की गई है.

SBI जैसी बड़ी बैंक की यह दरों में कटौती बाजार में क्रेडिट की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद करेगी और कर्जदाताओं के लिए ब्याज बोझ कम करेगी. इससे होम लोन, पर्सनल लोन और MSME लोन लेना ग्राहकों के लिए सस्ता हो जाएगा, जबकि डिपॉजिट पर थोड़ी कमी से निवेशकों की एफडी आय में मामूली बदलाव आएगा.


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