*_जम्मू-कश्मीर: LG ने दो शिक्षकों को आतंकी संबंधों के चलते नौकरी से बर्खास्त किया_*

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*_जम्मू-कश्मीर: LG ने दो शिक्षकों को आतंकी संबंधों के चलते नौकरी से बर्खास्त किया_*

जम्मू: जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी संबंधों के कारण दो सरकारी शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया. जम्मू-कश्मीर में अब तक उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा करीब 75 सरकारी कर्मचारियों को उनके कथित आतंकवादी संबंधों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त किया जा चुका है.

बर्खास्त किए गए लोगों की पहचान रियासी निवासी गुलाम हुसैन के रूप में हुई है. वह कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करता था. दूसरे की पहचान राजौरी जिले के माजिद इकबाल डार के रूप में हुई है. वह भी कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त था.

उपराज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड (2) के उप-खंड (ग) के अंतर्गत यह कार्रवाई की गई. राज्य की सुरक्षा के हित में ये फैसला लिया गया. राजौरी जिले के खेओरा स्थित स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक माजिद इकबाल डार को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त किया गया.

रियासी जिला के माहौर तहसील में शिक्षक जीएच हुसैन के खिलाफ भी ऐसी ही कार्रवाई की गई. स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक जीएच हुसैन को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त किया गया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘कथित आतंकी संबंधों के कारण दो और सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है और उन्हें अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका भी नहीं दिया गया. इससे मुसलमानों, खासकर कश्मीरियों को शक्तिहीन करने के व्यापक एजेंडे की चिंता बढ़ गई है.

 

पहले उन्हें पक्षपातपूर्ण आरक्षण नीतियों के कारण हाशिए पर धकेला जा रहा है, जैसा कि जम्मू-कश्मीर में आरक्षण प्रमाणपत्रों पर हाल ही में हुए खुलासे से पता चलता है और अब उन्हें गलत तरीके से बर्खास्त किया जा रहा है, जबकि जज, जूरी और जल्लाद, सब एक ही तरफ हैं.’

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार गुलाम हुसैन कथित तौर पर अंगरल्ला निवासी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद कासिम और चसाना निवासी गुलाम मुस्तफा के साथ संपर्क में था. उन्होंने कहा कि हुसैन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी गुलाम मुस्तफा के निर्देश पर लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए रियासी जिले में एक ओजीडब्ल्यू नेटवर्क स्थापित करने वाला था. उसने कथित तौर पर धन जुटाकर उसे ज्ञात आतंकवादियों के परिवारों में वितरित किया था और पाकिस्तान से प्राप्त पार्सल भी वितरित किए थे.

जहाँ तक माजिद इकबाल डार का संबंध है, एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि वह पाकिस्तान से सक्रिय संचालकों के निर्देश पर दस्सल के जंगलों से एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) इकट्ठा करने में शामिल था. अनुच्छेद 311, खंड (2) परंतुक (ग) के तहत, उपराज्यपाल राज्य की सुरक्षा के हित में बिना किसी जाँच के किसी भी सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त कर सकते हैं.

 

इन कर्मचारियों को ज्यादातर आतंकवादी संबंधों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के आरोपों में बर्खास्त किया जाता है. यह प्रावधान मानक विभागीय जाँच प्रक्रिया को दरकिनार करता है और बर्खास्त कर्मचारियों को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब देने का कोई मौका नहीं दिया जाता. अब तक जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा लगभग 75 सरकारी कर्मचारियों को उनके कथित आतंकवादी संबंधों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त किया जा चुका है.


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