अखिल भारतीय मजदूर हड़ताल के तहत ट्रेड यूनियन एक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने गांधी पार्क में किया प्रदर्शन,

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अखिल भारतीय मजदूर हड़ताल के तहत ट्रेड यूनियन एक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने गांधी पार्क में किया प्रदर्शन, जुलूस निकालकर सीएमओ के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन।

• आशाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा व 35000 रुपए न्यूनतम वेतन देने और उनका शोषण रोकने की मांग।

 

इस दौरान रुद्रपुर गांधी पार्क में हुए धरने को संबोधित करते हुए यूनियन की जिलाध्यक्ष ममता पानू ने कहा कि यूनियन की ओर से आशा हेल्थ वर्कर्स की समस्याओं एवं विकट कार्य परिस्थितियों को ज्ञापन, मांग पत्रों एवं आपसे वार्ता के माध्यम से मुख्यमंत्री जी व स्वास्थ मंत्री जी के संज्ञान में बार बार लाया गया है। लेकिन अफसोस की बात है कि भाजपा सरकार द्वारा आशा वर्कर्स की समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं का विभाग में कोई भी सम्मान नहीं है और न ही वेतन। आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में बिना किसी न्यूनतम वेतन और कर्मचारी के दर्जे के लगा दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं लेकिन सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है, सरकार का यह रवैया महिला श्रम की शक्ति को अनदेखा करने वाला है। आशाओं की लगातार ट्रेनिंग चलती रहती हैं लेकिन ट्रेनिंग में दिया जाने वाला पैसा इतना भी नहीं होता कि दूर दराज से आने वाली आशाएं अपना किराया भाड़ा भी दे सकें। आशाओं को मिलने वाला विभिन्न मदों का प्रति माह मिलने वाला पैसा छह– छह माह तक नहीं मिल रहा है।जिसके कारण आशाएं बहुत दिक्कतों का सामना कर रही हैं। इस सबके साथ साथ अस्पताल स्टाफ का व्यवहार आशाओं के प्रति आम तौर पर बेहद खराब होता है। साथ ही आशाओं को हर जगह प्रताड़ित होना पड़ता है। नियम है कि आशा वर्कर्स को सरकारी अस्पताल में ही डिलीवरी करानी होगी, आशाएं इसका पूरी तरह पालन करती हैं। परन्तु कई बार सरकारी अस्पताल में डॉक्टर गंभीर स्थिति में या अस्पताल में उचित सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण प्राइवेट या अन्य जगह दिखाने के लिए रेफर कर देते हैं। और जब आशा प्राइवेट में जाती ही तो उनके खिलाफ जांच बिठा दी जाती है। ये बंद होना चाहिए।

 

सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू (AICCTU) के प्रदेश कोषाध्यक्ष ललित मटियाली ने अपनी कहा कि आज आशाओं ने यूनियन बनकर अपनी लड़ाई जारी रखी है। लेकिन मोदी सरकार द्वारा लाई गई 4 श्रम संहिताओं के तहत किसी भी वर्ग को यूनियन बनाकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने कठिन हो जाएगा। क्योंकि इन श्रम संहिताओं में यूनियन बनाना नामुमकिन हो जाएगा। साथ ही न्यूनतम वेतन पाने और स्थाई नौकरी पाने के अधिकार को भी इन श्रम संहिताओं में खत्म कर दिया है। और तो और प्रतिदिन काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए गए हैं। मोदी सरकार पूंजीपतियों को अकूत मुनाफा देने के लिए इन श्रम संहिताओं को लेकर आई है। इसके तहत श्रमिक बंधुवा मजदूर बनकर रह जाएगा।

 

यूनियन की उप सचिव अनीता अन्ना ने कहा कि 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी के खटीमा स्थित कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करते हुए प्रतिमाह 11500 रूपये का वादा किया था। परन्तु वादे को चार साल पूरा होने को है लेकिन सरकार द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया है। आशाओं के साथ वादाखिलाफी की गई है। जिसे यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी।

यूनियन नेता काजल मिस्त्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं इसलिए आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं के लिए एकमुश्त धनराशि व आजीवन अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय।

 

धरने के बाद बारिश में भीगते हुए यूनियन ने मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में मुख्यमंत्री किया गया वादा तत्काल पूरा करने, आशाओं को न्यूनतम वेतन देने , सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन देने, आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे हर माह देने, आशाओं को ट्रेनिंग के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान करने, सभी सरकारी अस्पतालों को आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने के निर्देश देने, सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरने , सभी अस्पतालों में आशा घर का निर्माण करने की मांगे कि गई।

 

प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष बबीता कश्यप, आशा मिस्त्री, अन्नू कौर, रविन्द्र कौर, सतपाल कौर, शशिबाला, संतोष देवी सहित सैकड़ों आशा वर्कर्स, ऐक्टू के नगर अध्यक्ष उत्तम दास, आइसा नेता धीरज कुमार, विजय शर्मा, रंजन विश्वास, अखिलेश सिंह आदि एक्टू कार्यकर्ता उपस्थित थे।

 

 


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