*_धीरेंद्र शास्त्री ने कोलकाता में 5 लाख के समक्ष किया गीता पाठ, कहा- ‘भारत में तनातनी नहीं, सनातनी चाहिए’.._*

Spread the love

*_धीरेंद्र शास्त्री ने कोलकाता में 5 लाख के समक्ष किया गीता पाठ, कहा- ‘भारत में तनातनी नहीं, सनातनी चाहिए’.._*

कोलकाता। बागेश्वरधाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आखिरकार पश्चिम बंगाल में पहुंचे और कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड ग्राउंड में आयोजित विशाल सामूहिक गीता पाठ में 5 लाख लोगों के साथ शामिल हुए। मंच से उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत में ‘तनातनी नहीं, सनातनी चाहिए’। कार्यक्रम के बाद वे सात दिन के अज्ञातवास पर चले गए हैं।

धीरेंद्र शास्त्री की कथा पश्चिम बंगाल में करीब दो महीने पहले आयोजित होने वाली थी, लेकिन बारिश और प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर अनुमति निरस्त कर दी गई थी। इसके बाद शास्त्री ने स्पष्ट किया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रहते वे पश्चिम बंगाल नहीं जाएंगे। हाल ही में आयोजित इस कार्यक्रम में शास्त्री ने मंच से अपने विचार रखे और आस्था और एकजुटता पर जोर दिया।

सामूहिक गीता पाठ में बागेश्वरधाम के शास्त्री के अलावा साधु-संत, राज्यपाल सीवी आनंद बोस, बंगाल बीजेपी के नेता और साध्वी ऋतंभरा मौजूद थे। शास्त्री ने अपने संबोधन में हिंदुओं को संदेश देते हुए कहा कि एकजुटता ही राज्य और देश को मजबूत बनाने का आधार है। उन्होंने कहा, “जब हिन्दू एक होंगे, तभी राष्ट्र एकजुट होगा और हिंदू राष्ट्र की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ेंगे।”

शास्त्री ने मंच से साफ किया कि देश में सनातनी होना चाहिए, न कि तनातनी। उन्होंने कहा कि भारत में ‘भगवा-ए-हिंद’ की भावना होनी चाहिए और किसी अन्य विचारधारा का प्रभुत्व स्वीकार्य नहीं है। बाबरी मस्जिद के शिलान्यास के संबंध में उन्होंने कहा कि किसी की आस्था व्यक्तिगत मामला है, लेकिन भगवान राम पर टिप्पणी किसी भी स्थिति में सहन नहीं की जाएगी।

इस आयोजन को शास्त्री ने महाकुंभ जैसी आस्था की भीड़ वाला बताया। कार्यक्रम में शामिल हुए श्रद्धालुओं ने ट्रेन और अन्य परिवहन साधनों से कोलकाता तक लंबा सफर तय किया। शास्त्री ने मंच से भजन और मंत्र के माध्यम से उपस्थित लोगों को गीता के संदेश और हिंदू एकता के महत्व पर भी मार्गदर्शन दिया।

कार्यक्रम के दौरान शास्त्री ने पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक प्रयास और आस्था ही समाज और राष्ट्र के लिए स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि अज्ञातवास के दौरान वे अपने आराध्य के प्रति ध्यान और साधना में लीन रहेंगे और भविष्य में अपने संदेश को और व्यापक रूप से फैलाने का प्रयास करेंगे।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *