*✍️ ‘पहलगाम हमले का तैयारी से जवाब दिया, दुनिया भारत की ओर देखती है’, विजयादशमी उत्सव में बोले मोहन भागवत*
October 2 2025, 10:06 [IST]
*Mohan Bhagwat RSS Vijayadashami Speech:* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। नागपुर में विजयादशमी उत्सव के मौके पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने देश की सुरक्षा, वैश्विक परिदृश्य और समाज की जिम्मेदारी पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत मित्रता की राह पर चलता रहेगा, लेकिन सुरक्षा के मामले में पूरी तरह सतर्क रहना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमने पहलगाम हमले का पूरी तैयारी से जवाब दिया।
मोहन भागवत ने नागपुर के रेशम बाग मैदान में आयोजित संघ के शताब्दी समारोह में सबसे पहले संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्र पूजन से हुई और करीब 21 हजार स्वयंसेवकों ने इसमें हिस्सा लिया। देशभर की 83 हजार शाखाओं में भी विजयादशमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। विजयादशमी उत्सव मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा, आइए जानें अहम बातें।
*”पहलगाम धर्म पूछकर हत्या कर दी गई”*
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पहलगाम में हुई दर्दनाक घटना में लोगों की धर्म पूछकर हत्या कर दी गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश और शोक फैल गया। इस हमले का जवाब सेना और सरकार ने पूरी तैयारी और मजबूती के साथ दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने हमारे नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति को उजागर किया। भागवत ने जोर देकर कहा कि हमें सभी के साथ मित्रवत संबंध बनाए रखने चाहिए, लेकिन अपनी सुरक्षा के मामले में हमेशा सतर्क रहना जरूरी है।
*”दुनिया भारत से समाधान की उम्मीद कर रही है”*
मोहन भागवत ने कहा कि आज पूरी दुनिया अस्थिरता और उथल-पुथल से गुजर रही है। ऐसे में सबकी निगाहें भारत की ओर हैं। भारत से उम्मीद की जा रही है कि वह विश्व को नई दिशा देगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यवस्था को एकदम से उलटने की बजाय धीरे-धीरे बदलाव जरूरी है, तभी वैश्विक तंत्र सही ढंग से काम करेगा।
*”समाज बदलेगा तो व्यवस्था बदलेगी”*
अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया को धर्म और आध्यात्मिक दृष्टि की जरूरत है। यह मार्ग केवल भारत ही दिखा सकता है। लेकिन इसके लिए समाज को खुद में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह का समाज बनेगा, उसी के आधार पर व्यवस्था भी बदलती है।
*पड़ोसी देशों की स्थिति पर जताई चिंता*
भागवत ने पड़ोसी मुल्कों में हो रहे हिंसक परिवर्तनों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन जनता की भावनाओं के अनुसार नीति नहीं बनाता तो असंतोष बढ़ता है। लेकिन बदलाव का रास्ता हिंसा नहीं बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया ही होना चाहिए। हिंसा से केवल अराजकता पैदा होती है और बाहर की ताकतों को हस्तक्षेप का मौका मिलता है।
*”परिवारों में बढ़ रही है दूरी”*
उन्होंने कहा कि आज भौतिक सुख-सुविधाएं तो बढ़ गई हैं, राष्ट्र और समाज आपस में करीब भी आए हैं, लेकिन इसके बावजूद रिश्तों में खटास और परिवारों में टूटन देखी जा रही है। यह स्थिति चिंताजनक है और समाज को इसके समाधान की ओर बढ़ना होगा।
*गुरु तेग बहादुर और गांधी जी को दी श्रद्धांजलि*
संघ प्रमुख भागवत ने इस अवसर पर गुरु तेग बहादुर के बलिदान को याद किया और कहा कि वह “हिंद की चादर” बनकर अन्याय से समाज को मुक्ति दिलाने वाले महापुरुष थे। साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी की जयंती पर भी उन्हें नमन किया और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया।






